Teacher
खुशियों के दिन फिर आवैंगे
दु:ख के बादल छट जावैंगे थाम उस प्रभु का नाम जपो खुशियों के दिन फिर आवैंगे हृदय.. में. .. विश्वाश .रखो! दुश्मन तै हाम्म डरते कोन्या पीठ दिखा कै भागे कोन्या जिब तक भागै नहीं करोना थाम घर में ही आराम करो। जै थारे लडज्या करोना इस तै बिलकुल नहीं डरो ना तुलसी गिलोय काढ़ा पीकर इसका...काम...तमाम. करो ! गलती थामनै बहुत करी सै धरती नै बंजड़ करी सै पेड़ लगाकर धरती मां पर ऑक्सीजन का निदान करो। हवा ....झूम ....कै.. .गावैगी सभ.. नै.... गीत... सुणावैगी फिर खिल ज्यांगी फुलवाड़ी थाम थोड़ा धीरज धारण करो। ©️ अशोक योगी कालबा हाउस नारनौल
हम महाकाल को पूजने वाले भारत की संतान है
रब ने ब़ख्से सबके हिस्से अवनी अम्बर अग्नि आब़और पौन हैं फिर इंसानों को काफ़िर कहने वाले ये ज़ाहिल कौन हैं। जो सीखाता हो नफ़रत इंसानों से वो अल्लाह कैसा या तो नुक़्स है ख़ुदा में तेरे या संगदिल तेरा दृष्टिकोण है। ग़र ज़न्नत नसीब होती है तुझे काफिरों के क़त्ल से तो शियाओं का ख़ून बहाने वाले ये सुन्नी कौन हैं। ग़र बरसती है रहमत अल्लाह के फ़ज़ल से दुनियां में तो मज़लूमों का ख़ून बहाने वालों पर तेरा अल्लाह क्यों मौन है। यूं न मिटा पाएगा हस्ती हमारी तू चाहे जितना बड़क ले मरकर भी मिटती नहीं हस्ती हमारी कहने वाली तेरी कौम है। मिट गए मुहम्मद़ अक़बर गौरी और गज़नवी जहां से घट- घट में बसने वाले राम हमारे अब भी दुनियां के सिरमौर है। हम महाकाल को पूजने वाले भारत की संताने हैं अर्जुन से धनुर्धर बनाने वाले जिन्दा अभी गुरु द्रोण हैं
मेरे जनाजे पर अश्क बहाने वाले वाले लोगो
जम्हूरियत -ए- हुक़ूमत हूं पर वहाबी नहीं हूं मै मयकश -ए- नबी का हूं पर शराबी नहीं हूं मै माना कि शौक है तितलियों को छूने का मुझे पर, पर कुतर दू किसी का ऐसा कसाबी नहीं हूं मै तेरे चिलमन के इंतजार में खुले है झरोखे अब तलक अदना सा आदमी हूं कोई ओलीया नमाज़ी नहीं हूं मै कभी वो आंखों का सुरूर हुआ करते हमारे जनाब अब उसके सुर्ख होंठों की शराब पुरानी नहीं हूं मै बहक जाता है उसकी बेकसी के आलम में " योगी" शायद अब उसके ख्वाबों की जिंदगानी नहीं हूं मै मेरे जनाजे पर अश्क बहाने वाले ना कदर लोगो बद अख्तर न समझ मुझको इतना बादाबी नहीं हूं मै
मेरा जीवन बन गया मधुबन
थिरकते पांव , उमड़ते भाव शादी की शहनाई में झंकृत मन, अलंकृत तन वसंत की तरणाई में मधुर.. मकरंद .. सा फिर खिले तेरा यौवन प्रेम तुम्हारा पाकर "प्रिये" मेरा जीवन बन गया मधुबन। किसलय कोपल संग नव प्रभात हुआ अंबर... में.. अरुणिमा... छाई जीवन सुंदर स्वप्न बना जब से तुम जीवन में आई महकते रहना घर आंगन में बनकर सुगंध चंदन वन प्रेम तुम्हारा...पाकर.... "प्रिये" मेरा जीवन बन गया मधुबन । मृदुल तन ,रक्तिम मुख उदय होता मानो दिवाकर सुनकर मधुकर की मधुर गुंजार तुम.... आओ न .......... प्रिये कर .. नव .. यौवन .. श्रृंगार जागृत करें स्वप्निल दृगों में_ प्रथम .......वसंत......मिलन प्रेम ...तुम्हारा.. पाकर.. "प्रिये" मेरा जीवन बन गया मधुबन
आजकल रिश्तो में वो बात नहीं होती
आजकल रिश्तों में वो बात नहीं होती, जिस्मानी मुहब्बत में रूह से मुलाकात नहीं होती ! बांट दिया फिरका -परस्तो ने मजहब को यहां, वरना आदमियत की कोई नस्ल और जात नहीं होती ! महफ़िले सजती हैं तंग गली के दावत खानों में हाथी, घोड़े पालकी वाली अब बारात नहीं होती ! सिसक रहा है बचपन मैकाले के लादे बस्तों में पांच सितारा स्कूलों में संस्कारों की बात नहीं होती ! जवानी छीन ली इडली,डोसा बर्गर जैसे पकवानों ने खाने में अब सीरा, लापसी और पात नहीं होती ! फिजाओं में भर दिया ज़हर शजर पर खंजर चलाकर, सावन में अब रिमझिम रिमझिम बरसात नहीं होती ! दफ़न है सफ़र- ए- जिन्दगी इस्पाती इमारतों में , छतों पर ताकती सितारों वाली अब रात नहीं होती ! यूं तो तरक्की बहुत की है "योगी " ने शहर के सफ़र में, मगर शहर में अब भगिनी और मां साथ नहीं रहती !
ऐसी दिवाली मनाएं
आओ अबकी बार ऐसी दिवाली मनाएं , भूखे,प्यासे मजलूमों के घर प्रेम के दिए जलाएं ! भरे हुए पेटों की छोड़कर चिन्ता, फुटपाथ पर बैठे किसी यतीम को खाना खिलाएं ! भर जाएं कोठे अन्नदाता के धान से, मेघाच्छिदत अंबर से विनती कर प्रेमरस बरसाएं ! सब जगह हो हर्षोल्लास, सब रहे निरोगी, ऐसी मंगलमयी भावना के फिर से गीत गाएं ! कोई विरहणी न आकुल हो पिय बिन , सबके घर आँगन माँ लक्ष्मी प्रेमधन बरसाएं ! भय ,भूख भ्रष्टाचार मिटे,सनातन भारत फिर बढे, आओ सब मिलकर भारत को फिर विश्वगुरू बनाएं ! न रहे अंधेरा दूर क्षितिज तक,चमक-चाँदनी हो अंबर मे, अवनी से अंबर तक कलम 'योगी' की आशा के दीप जलाए !
तुमको निगाहें ढूंढ़ रही हैं
झिर मिर झिर मिर मेहा बरसे पागल मनवा मिलन को तरसे मन चंचल .चित. चोर हुआ है छोड़ ..गए.. हो.. तन्हा. जबसे। बंद हुआ चिड़ियों का चहकना छोड़ दिया गुलशन ने महकना आंखे .. दरियां.. बन .. गई दूर... हुए ..हो.. जबसे.. हमसे। तू ...जबसे ...है.. रूंठ.... गया पर्वत.. का.. झरना .. सूख गया बंद हुआ.. बरगद का बड़कना चले ...गए ..हो .यारा... जबसे । तुमको... निगाहें ...ढूंढ़ ..रही हैं मिलन आश में झूम रही हैं अा जाओ तुम बन कर पुर्वाई आंखे निर्झर बरस रही जाने कबसे।
जय हो भारत भाषा
सदियों से दासता की बेड़ी पड़ी रही पर तू स्वाभिमान से हमेशा अड़ी रही। उर्दू , फ़ारसी और अंग्रेजी के आगे तू सीना तानकर खड़ी रही। असंख्य भाषाओं के उपवन में तू बहन सदा ही बड़ी रही। अहिंदी भाषी राज्यो में भी तू संपर्कों की भाषा बनी रही। कभी नागरी , कभी कौरवी कभी बनकर बोली खड़ी रही। मुंशी , महादेवी की जिहवा से तू कल कल सरिता सी बही रही। नाथ साहित्य से अब तलक तू अपने पांवों पर खड़ी रही। जय हो जय हो जय हो हे भारत भाषा तू भारत भाल पर बिंदी बनकर जड़ी रही।
तेरी औकात बता गया कोई
सोए हुए मेरे ख्वाबों में आ गया कोई मुद्दतों बाद मेरे जज़्बातों को जगा गया कोई। डूबे हैं कई बेगुनाह दरिया -ए- हयात में बहर-ए-तलातुम में भी किनारा पा गया कोई। भूख से हलकान है मजलूम तिरे आतिश-ए-शहर में गुर्बत में हक का निवाला भी खा गया कोई । घरों में कैद है जिंदगी फिज़ाओं में पसरा है सन्नाटा अकड़ना छोड़ दे अब, तेरी औकात बता गया कोई। ख़ामोश हैं बुत तो तानकर चादर सो गया खुदा भी मंजर -ए -तबाही में अपना ईमान दिखा गया कोई । यूं तो मोजूं है अर्श पे तिरे कदम-ए-मर्दुम-ए-कामिल मगर दिखाकर रुतबा , तेरी हस्ती मिटा गया कोई । वक्त-ए-अज़ल पर यह कैसा मंजर है ए- खुदा जिंदा आदमी का गोश्त जानवर खा गया कोई । टूटे हैं हौंसले मगर ख्वाहिशें जिंदा रख -ए-"योगी" दहश़त- ए - दश्त़ में भी रास्ता दिखा गया कोई l
सात अजूबे
गाँव के स्कूल में पढने वाली छुटकी आज बहुत खुश थी, उसका दाखिला शहर के एक अच्छे स्कूल में क्लास 6 में हो गया था। आज स्कूल का पहला दिन था और वो समय से पहले ही तैयार हो कर बस का इंतज़ार कर रही थी। बस आई और छुटकी बड़े उत्साह के साथ उसमे सवार हो गयी। करीब 1 घंटे बाद जब बस स्कूल पहुंची तो सारे बच्चे उतर कर अपनी-अपनी क्लास में जाने लगे…छुटकी भी बच्चों से पूछते हुए अपनी क्लास में पहुंची। क्लास के बच्चे गाव से आई इस लडकी को देखकर उसका मजाक उड़ाने आगे। “साइलेंस!”, टीचर बोली, “ चुप हो जाइए आप सब…” “ये छुटकी है, और आज से ये आपके साथ ही पढेगी।” उसके बाद टीचर ने बच्चों को सरप्राइज टेस्ट के लिए तैयार होने को कह दिया। “चलिए, अपनी-अपनी कॉपी निकालिए और जल्दी से “दुनिया के 7 आश्चर्य लिख डालिए।”, टीचर ने निर्देश दिया। सभी बच्चे जल्दी जल्दी उत्तर लिखने लगे, छुटकी भी धीरे-धीरे अपना उत्तर लिखने लगी। जब सबने अपनी कॉपी जमा कर दी तब टीचर ने छुटकी से पूछा, “क्या हुआ बेटा, आपको जितना पता है उतना ही लिखिए, इन बच्चों को तो मैंने कुछ दिन पहले ही दुनिया के सात आश्चर्य बताये थे।” “जी, मैं तो सोच रही थी कि इतनी सारी चीजें हैं…इनमे से कौन सी सात चीजें लिखूं….”, छुटकी टीचर को अपनी कॉपी थमाते हुए बोली। टीचर ने सबकी कापियां जोर-जोर से पढनी शुरू कीं..ज्यादातर बच्चों ने अपने उत्तर सही दिए थे… ताजमहल चीचेन इट्ज़ा क्राइस्ट द रिडीमर की प्रतिमा कोलोसियम चीन की विशाल दीवार माचू पिच्चू पेत्रा टीचर खुश थीं कि बच्चों को उनका पढ़ाया याद था। बच्चे भी काफी उत्साहित थे और एक दुसरे को बधाई दे रहे थे… अंत में टीचर ने छुटकी की कॉपी उठायी, और उसका उत्तर भी सबके सामने पढना शुरू किया…. दुनिया के 7 आश्चर्य हैं: देख पाना सुन पाना किसी चीज को महसूस कर पाना हँस पाना प्रेम कर पाना सोच पाना दया कर पाना छुटकी के उत्तर सुन पूरी क्लास में सन्नाटा छा गया। टीचर भी आवाक खड़ी थी….आज गाँव से आई एक बच्ची ने उन सभी को भगवान् के दिए उन अनमोल तोहफों का आभाष करा दिया था जिनके तरफ उन्होंने कभी ध्यान ही नहीं दिया था! सचमुच , गहराई से सोचा जाए तो हमारी ये देखने…सुनने…सोचने…समझने… जैसी शक्तियां किसी आश्चर्य से कम नहीं हैं, ऐसे में ये सोच कर दुखी होने ने कि बजाये कि हमारे पास क्या नहीं है हमें ईश्वर के दिए इन अनमोल तोहफों के लिए शुक्रगुजार होना चाहिए और जीवन की छोटी-छोटी बातों में छिपी खुशियों को मिस नहीं करना चाहिए।
मंत्रों की शक्ति या आयुर्वेद का चमत्कार
सत्य घटना बात करीब दस बारह वर्ष पुरानी है।गर्मियों का समय था ।एक जीप कालबा बस स्टॉप पर आकर पानी पीने के लिए रुकी । जीप में तीन व्यक्ति और एक 16-17 वर्षीय लड़का अधमरा लेटा हुआ था ।गांव के एक व्यक्ति ने जिज्ञासावश पूछ लिया भाई बच्चे को क्या हो गया। तो उनमें से एक व्यक्ति जिसकी आंखे रोने के कारण सुजी हुई थी ,ने कहा भाई ये मेरा बेटा है इसको खेत में काले सांप ने काट लिया ।परसो हम इसको एसएमएस अस्पताल जयपुर लेकर गए थे लेकिन डाक्टरों ने जवाब दे दिया है अब जवान बेटे को मरते हुए देखने के अलावा हमारे पास कोई विकल्प नहीं है। गांव के व्यक्ति ने उसे एक बार मेरे दादा जी श्री रघुवीर योगी से मिलने का सुझाव दिया और उसको आश्वस्त किया कि वो इसे ठीक कर देंगे ।हमारे गांव में सांप काटे का वही उपचार करते है । बच्चे के पिता जी को विश्वास नहीं हुआ परन्तु मरता क्या ना करता ।उसने जीप का मुंह हमारे गांव की तरफ कर दिया और हमारे घर आकर रुके । दादा जी ने बच्चे की नाडी देखकर कहा कि जहर समस्त शरीर में फैल चुका है परन्तु कोशिश करते हैं । आप अपने गांव किशनपुरा चलो मै पीछे पीछे अपने गारड़ी ( सांप का झाड़ा लगाने वाले) लेकर आता हूं । खैर बाबा ने बिना देर किए बच्चे के गांव पहुंचकर उपचार शुरू किया । मंत्रो के साथ साथ आयुर्वेद दवा दी और बच्चा तीन दिन में बिलकुल स्वस्थ हो गया । जिस बच्चे के इलाज के लिए बड़े हॉस्पिटल ने हाथ खड़े कर दिए उसका इलाज मेरे दादा जी ने आयुर्वेद की शक्ति से ठीक कर दिया । कुछ लोग इसे अंधविश्वास कह सकते हैं मै भी ऐसा ही मानता था ।एक दिन मैंने दादा जी से कहा बाबा ये जो आप सांप झाड़ते हो क्या सच में ही मंत्रो से जहर उत्तर जाता है ।तब वो बोले बेटा जहर तो मै जो ये काली पाड, बांझ काकेडा, और काली मिर्च देशी घी देता हूं उससे भी कम हो जाता है परन्तु मंत्र मरीज पर मनोवैज्ञानिक असर करते हैं ।रोगी का भय दूर करते हैं । उनकी बात से सहमत होकर मैंने सारे मंत्र एक नोट बुक में लिख लिए । ये कोई कहानी नहीं है अपितु वास्तविकता है । कोई भी व्यक्ति मेरे गांव में आकर तसल्ली कर सकता है। अब दादा जी तो नहीं रहे परन्तु उनके सिखाए कुछ नुक्से मेरे पास भी हैं। जिनमे स्वेत्त प्रदर और पैरदारी का शत प्रतिशत इलाज मै तीन खुराकों में कर सकता हूं । जय आर्यवर्त । जय आयुर्वेद ।
सपने
आज घर की रसोई मे पकवानों की भीनी भीनी महक आ रही थी ! दरअसल आज मेरा' नीट ' का परीक्षा परिणाम आना था और मम्मी मेरी सफलता के प्रति पूर्णतया आश्वस्त थी ! इसलिए पड़ोसियो को पार्टी देने की पूरी तैयारी थी ! मग़र मेरे दिल मे उथल पुथल मची हुई थी ! तभी घर की डोरबेल कोयल सी चहकी ! " अन्नू ..देखो तो जरा.. दरवाजे पर कौन है "? मम्मी ने रसोई से आवाज लगाई ! मैने दोड़कर दरवाजा खोला तो पापा खड़े थे ! उनके हाथ मे मेरा रिजल्ट कार्ड था ! रिजल्ट कार्ड देखकर मेरा दिल धड़कने लगा ! लो तुम्हारी लाडली अबकी बार भी 10 मार्क्स से रह गई ! पापा ने घर मे घुसते हुए मम्मी को ताना मारते हुए कहा ! हाय ! इस लड़की ने तो हमारी ईज्जत धूल मे मिला दी ! पड़ोसियों के आगे अब कौनसा मुँह लेकर निकलेंगे ! दो वर्ष मे पाँच लाख रूपये इसकी कोंचिंग पर खर्च कर दिए मग़र नतिजा वही ढाक के तीने पात ! सारे दिन इसको डांस से फूर्सत मिले तब ना ! मम्मी ने अपने सारे सपनों के बोझ की गठड़ी मेरे सिर पर लाद दी थी ! मै कहना चाहती थी ,मम्मी मुझे डाक्टरी नही ,नृत्य पंसद है ! मैने राज्य स्तर पर नृत्य मे प्रथम स्थान प्राप्त किया है !अपने सपने मेरे ऊपर मत थोपो ! मुझे मेरे सपने पुरे करने दो! मग़र हाय रे संस्कार !तुम्हारे जबान पर लगाए हुए तालों के कारण मेरे शब्द कण्ठ मे ही फड़फड़ा कर दम तोड़ चूके थे !
ईमानदारी
जिसके भीतर कुछ और है बाहर कुछ और है,विश्वासघाती मनुष्य कभी सफल नहीं होता।यकीन मानिए उसे कभी न कभी बहुत बड़ी चोट लगती है,बहुत गहरा जख्म होता है।जो व्यक्ति अपने ही परिवार के सदस्यों से फरेब करे अपने मित्रों को धोखा दे ,उस मनुष्य के जीवन में विपत्तियाँ कभी साथ नहीं छोड़ती।अपनों से दगा करने वाले ,अपनों से लुका छिपी का खेल खेलने वाले कभी जीवन में पूर्णता को नहीं पाते हमेशा अधूरे रहते हैं।ऐसे व्यक्ति के पास लक्ष्मी कभी नहीं ठहरती भले लाख कोशिश करें।अविश्वासी लोग कभी न कभी बहुत बड़ा आघात सहते हैं।जो लोग पाप में संलिप्त हैं।जो लोग हमेशा बैर विरोध में लगे रहते हैं। जो अत्याधिक क्रोधी मनुष्य हैं वह हमेशा सबसे ज्यादा डरते हैं।ऐसे शख्स हमेशा डर के साय में रहते हैं।जो लोग साफ स्वच्छ निर्मल छवी के होते हैं वह हमेशा निडर रहते हैं।आत्मा के साथ चलकर रहने वाले ऐसे व्यक्ति ईश्वर को बहुत प्यारे होते हैं।जो लोग अनुचित ढंग से करोड़पति बन जाएं धन धान्य से भरपूर हों वह दुनिया की नज़र में कभी सम्मान नहीं पाते उन्हें हेय दृष्टि से ही देखा जाता है।