Poems



 कहानी कोरोना काल की 

  RLaxmiLevin       2020-06-06 07:20:59

तुम्हें सुनाओ कहानी कोरोना काल की, प्रकृति के रूद्र रूप विकराल की।। 

उठी चिंगारी परे देश  से आग लगाई जिसने पूरी दुनिया के 
शुरुआत हुई जब इसकी समझ ना  आइ तब ये दुनिया के 
बिछ गए चारो ओर लासो के ढेर जब आदम जाति के 
तब आये ना कोई इसे बचाने उसके ही स्वजाति के 
सुनो कहानी ये लोकडाउन संग जनता के
 ढाल  की
प्रकृति के रूद्र रूप विकराल कीll1ll

बड़े-बड़े हुक्मरान जब घबराए देख सच को भोकलाए
 ना दवा कहीं ना दुआ कहीं मंदिर मस्जिद सब बंद करवाएं 
देख विधना का खेल अजीब प्रकृति खूब मुस्कुराए
 कैद मानव को देख हर जगह पशु-पक्षी भी फस्फुसाए
 सुनो कहानी यह मानव सत्ता के सवाल की
 प्रकृति के रूद्र रूप विकराल की।। 2ll

 मौत के मौसम में धरती मां ने भी क्या कहर  ढाहाया 
मचा कोहराम चारों तरफ रोटी रोटी को तरसाया
देख विधि की ऐसी कयामत हर कोई दहलाया
बालक बूढ़ों तक ना इससे यहां कोई बच पाया
बात सुनो अब उस अदृश्य कोरोना के कमाल की 
प्रकृति के रूद्र रूप विकराल की।। 3।।

दिन रात लगे योद्धाओं ने जगं जीत की ठानी
विकट घङी मे जन-जन को देते वे दाना पानी 
देख नियति का खेल विज्ञान ने यह बात मानी
छोड़ दे प्रकृति से छेड़छाड़ गर तुझे हैं जान बचानी 
कैसी कहानी ये  2020 के साल की 
प्रकृति के रूद्र रूप विकराल की।। 4।।

घर बैठे शहजादो ने देखी मजदूरों की मजबूरी
सृजन करता ये जिस भारत के, उनकी देखो कैसी ये लाचारी 
नंगे पैर नाप धरा को दिखाई उन्होंने सदाचारी 
रोते बिलखते खून से लिखी उन्होंने हुक्मरानों की कदाचारी
सुनो जबानी उन मजदूरों की लंबी चाल की
प्रकृति के रूद्र रूप विकराल की।। 5।।

गजब कर दिया कोरोना ने, इंसानियत उसने सिखलायी
बदल दिया विश्व वृक्ष को ऎसी आन्धी चलायी
गिर गये बाहुबली सब अर्थव्यवस्था ऎसी चरमरायी
बना दिया माहोल अब ऐसा होगी फिर से यहां लडायी
सुनो कहानी अब इन देशों के कदम  ताल की
प्रकृति के रूद्र रूप विकराल की।।6।।

 सुनो कहानी धरती के इस सर्वमान्य ख्याल की। प्रकृति के विनाश काल महाकाल कीll 

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