Poems



 किसान  

  Raj Kumar       2020-08-13 12:19:31

माथे पे पगड़ी, गले मे गमझा और धोती पहनावा हो , जिसकी पहचान l
वो कोई और नहीं, बल्कि हैं अपना पूजनीय किसान ll

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पौ फटते ही कंधो पे हल और साथ में हो बैल, जिसकी हो पहचान l
वो कोई और नहीं, बल्कि हैं अपना पूजनीय किसान ll

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हाथों में हँसिया और ज्येष्ठ में गेहूं की बाली कटती, जिसकी हो  पहचान l
वो कोई और नहीं, बल्कि हैं अपना पूजनीय किसान ll

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काम करते जिसके स्वर्ण रूपी पसीने से भीगे हो  परिधान l
वो कोई और नहीं, बल्कि हैं अपना पूजनीय किसान ll

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गमझे में लपेटी रोटी, गुण और मट्ठा से खेतो में जो करता हो  जलपान l
वो कोई और नहीं, बल्कि हैं अपना पूजनीय किसान ll

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आधे पाँव पानी में, भीगी हो धोती और जो रोप रहा हो धान l
वो कोई और नहीं, बल्कि हैं अपना पूजनीय किसान ll

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जिसके हाथ सने हो भूसे,  खुदी,  पानी से नाद में और परोसे मवेशियों को खान l
वो कोई और नहीं, बल्कि हैं अपना पूजनीय किसान ll

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जो पूरी भारत की अर्थव्यवस्था की हो जबरदस्त शान l
वो कोई और नहीं, बल्कि हैं अपना पूजनीय किसान ll

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जो सुबह और सायं होते ही गाय -भैसों से दूध निकाले इंसान l
वो कोई और नहीं, बल्कि हैं अपना पूजनीय किसान ll

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जो तन, मन और अन्न से सबको पोषित करता रहता हो और जिसके लिये सरकारे बनी रहे अनजान l
वो कोई और नहीं, बल्कि हैं अपना पूजनीय किसान ll

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भले ही वंचित  धन से पर जो भरा हो जीवन ऊर्जा से और हो निष्ठवान l
वो कोई और नहीं, बल्कि हैं अपना पूजनीय किसान ll 

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