मत बन "औसत " इंसान अपने कर्मभूमि से l नित लड़ अपने आप से, तू छोड़ आरामदेह दायरा अपने आसन्न से ll ***** ***** ***** मत बन "औसत "इंसान अपने जन्मभूमि से l फहरा पताका सफलता का गगन के आलोक से ll ***** ***** ***** मत बन "औसत "इंसान अपने रंगभूमि से l खिल उठ उत्तम कलाकार रूप मे और कर मंचन हर खुश दिल से ll ***** ***** ***** मत बन "औसत " शिष्य अपने पुरुषार्थ से l रेंग चींटी तरह पर सिद्ध कर अर्जुन के गांडीव की तरह से ll ***** ****** ****** मत बन "औसत "नियंता अपने हाव -भाव सेl कर सबको हत प्रभ अपने सहज़ बुद्धि के चाव से ll मत बन "औसत " माता -पिता अपने स्वाभाव से l कर उत्कृष्ट लालन -पालन अपने ही चातुर्य से ll ***** ***** ***** मत बन "औसत " सुत अपने ही कार्य से l साबित हो श्रवण जैसा अपने ही पुण्डाय से ll ***** ***** *****
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