रोज उठते हैं और निकल जाते अपने कर्मयुद्ध में l चेतन और अवचेतन मन से लग जाते अपने हस्त सिद्ध में ll ***** ***** ***** नहीं लगाने देते आलस को सेंध अपने तन मन में l झोक देते है अपने को पूरे मनोयोग से समयचक्र में ll ***** ***** ***** मन में रहता हैं कुछ ऎसा सुन्दर, साहसी, दयालु खयाल l एक से एक ग्यारह होते हैं और देश का मान बढ़ाते हैं प्रतिपाल ll ***** ***** ***** करते समाज के विकास में सहभागिता लेकर सबको साथ l चलते हैं अकेले पर मिलता जाता है सबका हाथों में हाथ ll ***** ***** ***** सभी को देना चाहिए अपने स्तर और सामर्थय से देश हित में योगदान l तभी तो अपना देश बनेगा एक आदर्श देश और महान ll ***** ***** ***** फिर एक बार कहलायेगा हिन्द, सोने की चिड़िया l और हरेक हिन्द जन के चेहरे पे होगी प्रशांत ख़ुशी की दुनिया ll ***** ***** ***** लोग करेंगे पडोसी और सगे सम्बन्धी की भी चिंता l जो बन पड़ेगा वो करेंगे और ना करेंगे कभी निंदा ll ***** ***** ***** "स्नेहिल राज " काँटी, मुजफ्फरपुर
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