तुझको देख के आता हैं करार l मैं तुम्हारा और तुम हमार ll चाहता हू तुम्हें बहुत और दिल से तुमको आभार l सुनती हो तुम मुझे सादगी से और नहीं करती कभी प्रतिकार ll हमेशा रहता हैं तुम्हारे आलिंगन का इंतज़ार l तुम्हारे छूवन से ही पुलकित होता शरीर हजार बार ll तुम मुझे तहे दिल से करती हो स्वीकार l यही तो वो बात है जिससे मुझे भी नहीं इनकार ll तेरे काले घने केश और तुम्हारा श्रृंगार l महसूस कराते ऐसे जैसे रजनीगंधा के खुशबू की बहार ll कपोल पर सजती लाली और सजल नयन मे दिखता प्यार l मै भी तेरे सजदा करू और खूब करू तुझसे प्यार l मै भी तेरे सजदा करू और खूब करू तुझसे प्यार ll
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