जीवन चक्र के इन समस्त गुरुजनों के शुभाशिष के साथ गुरु पूर्णिमा की अनन्त शुभकामनाएं। सफर- ए - जिंदगी में आलम यह है जनाब, कदम दर कदम देखा गुरुजनों का सैलाब। प्रथम गुरु बन माता ने निभाया अपना फर्ज, ना उतार पाएंगे कभी पिता की सीख का कर्ज। विद्या के मंदिर में जा कर पाया हर तरह का ज्ञान, ऐसे शिक्षकगणों को करेंगे हम सदा यहां प्रणाम। वक्त के बहाव में दिखे रिश्ते नाते दोस्त दुश्मन बड़े महान, सीखा गए जीवन पथ की यथार्थता का वे ज्ञान विज्ञान। धरती माता ने भी क्या कम निभाया अपना धर्म, पालपौष के आंचल में हमको, सिखाया अपना कर्म कैसे कहूं गुरु एक है पल-पल देखा दूजा गुरु महान, आखिर देखा चित्तवृत्ति में झांक के तो दिखा *आदि योगी* गुरु महान।
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