सबके लिए सबको समय मिल जाता है आदमी जब चाहे तब एक मिनट मिल जाता है। नहीं होता कई बार इतना जरूरी कोई या कुछ इसलिए समय का कुछ इस तरह अभाव हो जाता है। दस्तूर यह जमाने का क्यों जाया करें वक्त कोई अपना शिकायतों का भी इस तरह आजकल प्रभाव कम हो जाता है। उम्मीदें फिर इस कदर हावी हुई दो बोल बतलाने की पर------भुलाने वाले को क्यों - कहां- कौन इतना याद आता है। हकीकत जान के खुद आदमी कितना सोच में पड़ जाता है क्यों करता है ऐसा वह, अपनी रूह से फिर बतलाता है।।
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