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  मंत्रों की शक्ति या आयुर्वेद का चमत्कार  

  Ashok Yogi "Shastri"         2021-05-29 04:55:02

सत्य घटना
बात करीब दस बारह वर्ष पुरानी है।गर्मियों का समय था ।एक जीप कालबा बस स्टॉप पर आकर पानी पीने के लिए रुकी । जीप में तीन व्यक्ति और एक 16-17 वर्षीय लड़का अधमरा लेटा हुआ था ।गांव के एक व्यक्ति ने जिज्ञासावश पूछ लिया भाई बच्चे को क्या हो गया। तो उनमें से एक व्यक्ति जिसकी आंखे रोने के कारण सुजी हुई थी ,ने कहा भाई ये मेरा बेटा है इसको खेत में काले सांप ने काट लिया ।परसो हम इसको एसएमएस अस्पताल जयपुर लेकर गए थे लेकिन डाक्टरों ने जवाब दे दिया है अब जवान बेटे को मरते हुए देखने के अलावा हमारे पास कोई विकल्प नहीं है।
गांव के व्यक्ति ने उसे एक बार मेरे दादा जी श्री रघुवीर योगी से मिलने का सुझाव दिया और उसको आश्वस्त किया कि वो इसे ठीक कर देंगे ।हमारे गांव में सांप काटे का वही उपचार करते है । बच्चे के पिता जी को विश्वास नहीं हुआ परन्तु मरता क्या ना करता ।उसने जीप का मुंह हमारे गांव की तरफ कर दिया और हमारे घर आकर रुके । दादा जी ने बच्चे की नाडी देखकर कहा कि जहर समस्त शरीर में फैल चुका है परन्तु कोशिश करते हैं ।
आप अपने गांव किशनपुरा चलो मै पीछे पीछे अपने गारड़ी ( सांप का झाड़ा लगाने वाले) लेकर आता हूं । 
खैर बाबा ने बिना देर किए बच्चे के गांव पहुंचकर उपचार शुरू किया । मंत्रो के साथ साथ आयुर्वेद दवा दी और बच्चा तीन दिन में बिलकुल स्वस्थ हो गया ।
जिस बच्चे के इलाज के लिए बड़े हॉस्पिटल ने हाथ खड़े कर दिए उसका इलाज मेरे दादा जी ने आयुर्वेद की शक्ति से ठीक कर दिया ।
कुछ लोग इसे अंधविश्वास कह सकते हैं मै भी ऐसा ही मानता था ।एक दिन मैंने दादा जी से कहा बाबा ये जो आप सांप झाड़ते हो क्या सच में ही मंत्रो से जहर उत्तर जाता है ।तब वो बोले बेटा जहर तो मै जो ये काली पाड, बांझ काकेडा, और काली मिर्च देशी घी देता हूं उससे भी कम हो जाता है परन्तु मंत्र मरीज पर मनोवैज्ञानिक असर करते हैं ।रोगी का भय दूर करते हैं । उनकी बात से सहमत होकर मैंने सारे मंत्र एक नोट बुक में लिख लिए ।
ये कोई कहानी नहीं है अपितु वास्तविकता है । कोई भी व्यक्ति मेरे गांव में आकर तसल्ली कर सकता है। अब दादा जी तो नहीं रहे परन्तु उनके सिखाए कुछ नुक्से मेरे पास भी हैं। जिनमे स्वेत्त प्रदर और पैरदारी का शत प्रतिशत इलाज मै तीन खुराकों में कर सकता हूं ।
 
               जय आर्यवर्त । जय आयुर्वेद । 

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