दो बेटों की अम्मा सुखी थी या दुखी, उसको खुद भी समझ नहीं आ रहा था I बड़ा बेटा सुरेश जो अपने घर बिजवासन हरियाणा से बहुत दूर हैदराबाद में जाकर अपना बिजनेस जमाया था I साल में एक बार ही घर आ रहा था उसके बच्चे बड़े तो हो रहे थे लेकिन इस दादी को कभी दुलार का मौका भी नहीं मिला था I छोटा बेटा रमेश जो कि घर से सिर्फ 50 किलोमीटर दूर एक कंपनी में मैनेजर थाI एक बेटा लाखों मैं अपने बिजनेस में कमा रहा था तो दूसरा बेटा अच्छी तनख्वाह पा रहा था I मां इस बात से खुश थी एक बेटा तो पास ही रहता है लेकिन तभी उस बेटे का भी प्रमोशन के साथ तबादला हो गया, उसके तबादले की खबर सबको थी लेकिन उसने अपनी मां को नहीं बताया I सोचा घर जाकर पहले कुछ समझा लूंगा फिर खुद ही बताऊंगा I लेकिन समझाने को भी तो कुछ नहीं था वह कुछ भी कहे पर वह दूर तो जा रहा था और अपनी मां को कैसे झुठला सकता था I छुट्टी लेकर वह पहुंच गया अपनी मां के पास और मां को बोला- मां तू मेरे साथ चल I मां बोली- तू 50 किलोमीटर तो दूर रहता है हर हफ्ते घर आ जाता है मैं तेरे साथ चल कर क्या करूंगी I लेकिन फिर रमेश बोला - नहीं मां, तू चल मेरे साथ I मां बोली- बेटा, क्या हो गया तुझे , क्यों बहकी बहकी बात कर रहा हैI इतनी सी दूर के लिए क्यों मैं अपना घर छोड़ दूं I मुझे अपने इस घर से बहुत प्यार है, इसमें मेरे दो बेटों ने जन्म लिया है उनकी किलकारियां अभी भी इस घर में सुनाई देती है, मैं इस घर को को छोड़ नहीं सकती हूं I यह सब बात सुनकर रमेश की आंखों से अश्रु धारा बहने लगी और मां को बोला, मां मेरा तबादला चित्तौड़गढ़ राजस्थान में हो गया है I मां - अब तो कितने दिन में आएगा I रमेश - 500 किलोमीटर है , लेकिन 15 20 दिन में एक बार तो आ ही जाऊंगा I इतने में सुरेश का फोन आ गया और बोला, मां मैं बस स्टैंड पर आ गया हूं I रमेश को लेने भेज दो मेरे तबादले का दुख कुछ देर के लिए टल गया और मैं भैया को लेने चला गया I
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