21अक्तूबर 2020 की शाम से ही बुखार और खांसी थी। इसलिए 22अक्तूबर को ऑफिस नहीं गया। बेटी अर्चना ने मुझे कोरोना का टेस्ट कराने की सलाह दी। मैंने यह कह कर टाल दिया कि सामान्य मौसमीय बदलाव के कारण ऐसा हो रहा है। किन्तु उसने पूना से ही घर टेस्ट कराने के लिए लैब बुक करा दिया। अगले दिन टेस्ट कोरोना पॉजिटिव आ गया। चिन्ता अपने साथ साथ परिवारजनों की भी हुई। डॉक्टर ने सत्रह दिन का होम आइसोलेशन लिख दिया और हम अपने बेडरूम में कैद हो गए। यह एक बड़ी त्रासदी होती है जब आपको अपनो से अलग कर दिया जाय। मित्र डॉक्टर आर. के. जैन को फोन किया तो उन्होंने पूरी सांत्वना दी। बिल्कुल नहीं घबराने की सलाह दी। एक पल्स – ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर खरीदने का विशेष आग्रह किया जिससे बुखार और शरीर में ऑक्सीजन लेवल नापा जा सके। इसके साथ घर के सभी सदस्यों का भी टेस्ट कराने का सुझाव दिया। दो दिन बाद टेस्ट कराए सभी के टेस्ट पॉजिटिव आए बेटे को छोड़कर। सभी आइसोलेट हो गए। कौन खाना बनाए ,कौन और घर का काम करे? बड़ा संकट आ गया।उधर दिन में तीन बार 650 एमजी की पैरासीटामोल खाने के बाद भी बुखार उतरने का नाम नहीं ले रहा था। ईश्वर की कृपा से ऑक्सीजन लेवल ठीक रहा। इस कारण अपने जन्मदिन पर मिली बधाईयों का उत्तर भी न दे सका। पत्नी, जो अभी तक ठीक थी, उस पर कोविड़ ने कहर ढाणा शुरू कर दिया। उन्हें बुखार के साथ साथ खांसी और जोड़ों में दर्द शुरू हो गया। 3 नवम्बर को उनका ऑक्सीजन सेचुरेशन लेवल 88% हो गया। जबर्दस्त घबराहट हो गई। तुरंत 102 पर एम्बुलेंस कॉल की गई। उसे आने में एक घंटा लगा। वाइफ को तुरंत बेटे के साथ सेंट्रल हॉस्पिटल भेजा। मेरे लिए यह बहुत भावुक पल था कि मैं इस समय पत्नी के साथ नहीं जा पा रहा था। मेरी नातिन ने मेरी आंखों के पहचान लिए और कहने लगी नाना जी आप नानी को लेकर परेशान हो न ? फिर मुझे सांत्वना दी नानी ठीक होकर आ जायेगी। चिन्ता न करो। मैं शायद दूसरों के सामने खुद को कमजोर नहीं दिखाना चाहता था। मेरी आंखें बेडरूम की खिड़की से एंबुलेन्स निकलने तक वाइफ को देखती रही। मैं उस समय कितना अवश और विवश था,बता नहीं सकता। जीवन में पहली बार ऐसा हो रहा था कि सुख-दुख में मेरे साथ कंधे से कंधे मिलाकर खड़ी रहने वाली पत्नी को इस समय जब मेरी सबसे अधिक जरूरत थी, मैं साथ नहीं था। रेलवे हॉस्पिटल में भर्ती के दो दिन बाद 5 नवम्बर को उन्हें आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया। सात नवम्बर को मेरा होम आइसोलेशन समाप्त हो गया। उसी रात आईसीयू में कई कोविड रोगियों के स्वर्ग सिधारे तो वह बुरी तरह से घबरा गई। हम लोग अस्पताल से 30किमी दूर थे और बेटे भी कोराना पॉजिटिव हो गया। अस्पताल में जा नहीं सकते। पत्नी बार बार कह रही थी कि मुझे बहुत घबराहट हो रही है, यहां से ले जाओ। छोटी बेटी रजनी ने फिर मोर्चा संभाला। वो रात के बारह बजे गुडग़ांव से आईसीयू के सामने आई और फोन पर कहा "' मां,घबराओ नहीं , मैं यहीं बाहर बैठी हूं। तब जाकर उसे शांति मिली। लगभग एक सप्ताह के कोविड के उपचार के बाद आईसीयू में रहने से स्थिति सुधर गई और उन्हें वापस कोरोना आइसोलेशन वार्ड में भेज दिया। हम और पुत्र दोनों ठीक हो गए थे। रोज डाक्टर से हाल लेने रेलवे अस्पताल जाते रहे और ईश्वर से उसके ठीक होने की प्रार्थना करते रहे। भाई और बहन , बेटियां और समधी और समधन के अतिरिक्त सहयोगी और मित्र शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिए दुआ करते रहें। मित्र अनूप श्रीवास्तव तो रोज सुबह फोन कर हाल चाल लेते और सांत्वना देते रहे। मेरे डीएमआरसी के पूर्व सहयोगी आ. नीरा खुंटिया, श्वेता वर्मा,संतोष भारती, निखिल आनंद गिरि, अस्मिका सिन्हा,kashiram तथा मित्र डॉ पुष्पा जोशी, भारत भूषण शर्मा ,सुभाष चंदर, स्नेहलता पाठक,अरुण अर्णव खरे, राजशेखर चौबे, डॉ. रमा द्विवेदी,डॉ आभा सिंह, सुधा मिश्रा, कीर्ति काले,प्रमिला पाण्डेय, राजेश सिंह,डॉ सविता सौरभ ,आलोक चतुर्वेदी , ओम प्रकाश शुक्ल, डा. पवन विजय, सुरेशपाल वर्मा जसाला, श्री एस के बंसल, एम के बंसल, वसुधा कनुप्रिया ,विजय प्रशांत सहित अनेक मित्र निरंतर फोन पर ढांढस बढ़ाते रहे। आखिर सभी की प्रार्थना को ईश्वर ने सुन लिया और पत्नी बत्तीस दिन के बाद कोरोनावायरस से जंग जीतकर 4 दिसंबर 2020 को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होकर घर आ गई। अब स्वस्थ है किन्तु काफी कमजोर हो गई है। कोरोना के संक्रामक रोग होने के कारण उस वार्ड में कोई निकट सम्बन्धी नहीं जा सकता था। यह एक तरह से स्वास्थ्य कारागार है जो स्वस्थ होने के लिए आवश्यक है। कई बार जब अस्पताल जाते तो PPE किट में बंद दिवंगत आत्माओं को देखकर मन घबरा जाता और अनेक आशंकाए मन को घेर लेती लेकिन हमारे सामने कोई विकल्प तो था नहीं। पत्नी ने लौटकर कई घटनाएं बताई। सब ईश्वर का खेल है। कोविड रोगियों को बचाने में डाक्टर,नर्स,पैरामेडिकल स्टाफ,सफाई कर्मचारी अपनी जान की बाजी लगाए हुए हैं। मैं उन सभी का रेलवे अस्पताल कर्मचारियों और डॉक्टर्स का धन्यवाद करता हूं जिन्होंने मेरी पत्नी का उचित उपचार कर नया जीवन दिया। जीवन के ये बत्तीस दिन मेरे लिए अविस्मरणीय बन गए हैं। अपने सभी सगे संबंधियों और मित्रों का आभार व्यक्त करना चाहता हूं जिन्होंने इस संकटकाल में मेरा हौसला बढ़ाया और कभी कमजोर नहीं होने दिया। अंत में मैं उस जीवनदाता ईश्वर का धन्यवाद व्यक्त करना चाहता हूं जिसने पत्नी को एक और जीवन दिया। मैं ईश्वर से विश्व के सभी कोरोनाग्रस्त रोगियों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की प्रार्थना भी करता हूं। एक सलाह : कृपया कोविड भी लक्षण दिखे तो टेस्ट जरूर कराएं और सरकारी आदेशों का पालन करें । यह हमारे अपने और स्वजनों के हित में है।
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