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  कठिन परिश्रम या प्रतिभा  

  Dheer         2020-06-30 05:09:19

सफलता के लिए प्रतिभा का होना आवश्यक है या इंसान कठिन परिश्रम करके सफल हो सकता है? यह प्रश्न मेरे दिमाग में अक्सर घूमता रहता है, और इसका जवाब  मिल नहीं पाता।मनोविज्ञान प्रतिभा पर अधिक जोर देता है लेकिन परिश्रम ने अपनी महत्ता खुद साबित की है। 
कुल्हाड़ी लकड़ी को काटती है यह उसकी प्रतिभा है या परिश्रम,  रस्सी  पत्थर को काट देती है यह उसकी प्रतिभा है या परिश्रम। क्या प्रतिभा ही सफलता  की एक मात्र कुंजी है,  या असफलता का एक  मात्र बहाना  है।  कई बार अखबारों में यह पढा है कि एक बच्चा जो सातवीं क्लास में फेल हो गया था वह बड़ा होकर एक आईएएस अधिकारी बन गया तो क्या उस बच्चे में प्रतिभा की कमी थी? इसलिए वह सातवीं क्लास में फेल हुआ था या  उस बच्चे ने परिश्रम बहुत किया है इसलिए वह आईएएस अधिकारी बन गया। , या यूँ कहे  बच्चे की मेहनत मे कमी थी इसलिए वह सातवीं क्लास में फेल हुआ या वह बच्चा बहुत प्रतिभावान था इसलिए वह आईएएस अधिकारी बन गया।  यह एक अनोखा खेल है जिसमें जो सफल होता है वह प्रतिभावान कहलाता है और जो असफल होता है वह ना लायक, असमर्थ और काबिलियत रहित कहलाता है। लेकिन यह सत्य है कि सफल होने के लिए परिश्रम करना उतना ही आवश्यक है जितना कि प्रतिभा का होना। 
दुनिया को देखने से यह महसूस होता है कि प्रतिभा केवल अपवाद के रूप में ही मिलती है जो कि कम परिश्रम करने पर भी आपको सफलता दिलवा दे।  पर ज्यादातर लोगों मैं उतनी अधिक प्रतिभा  होने पर भी  मेहनत से सफलता अवश्य मिल जाती है।  लेकिन ऐसा नहीं हो सकता की लगातार  मेहनत करने पर भी आपको सफलता नहीं मिले।  प्रतिभा का बहाना छोड़कर आज से ही कठिन मेहनत करना शुरू कर दीजिए आपको सफलता अवश्य मिलेगी। 

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