Poems



  कोरोना की विदाई 

  Dheer       2021-07-03 07:02:30

बादल उमड़ना भूल गए,  
धरती माता रो रही। 
कांप रही कोंख सभी,
दुनिया डग मग हो रही। 

शादी से पहले दुल्हन डरे,
मांग लिए कोरी कोरी।
जिंदगी के इस पड़ाव में,
यमराज खींच रहा डोरी। 

एक कमरे सिमटी दुनिया, 
ये कैसी चली बीमारी। 
बिना दिखे ही वायरस ये, 
मानवता पर भारी। 

मौज मस्ती भूल गए,  
दुख की आंधी तेज चली। 
राजा राजा लड़ रहे ,
लोग मर रहे गली गली। 

आया क्यों कहाँ से, 
इंसान तेरी सवारी। 
इस सूक्ष्म जीव की,
अब विदाई की तैयारी। 

बला बड़ी है, जतन करो, 
मत समझो इसे टली। 
मास्क लगाओ, हाथ धोवो,
काढ़ा की तो घुट भली। 
 
ज़हर घुला हवाओ में, 
साँस नहीं रुकने देंगे। 
लड़ेंगे, भिड़ेंगे, भगाएंगे 
प्रयास नहीं रुकने देंगे। 

वैक्सीन हमने बनायीं है ,
दवाई  और बना लेंगे। 
आस बहुत है, साहस बहुत है ,
प्रयास नहीं रुकने देंगे। 

तूने बेड बहुत लगवाए ,
माँ बहनो को खूब रुलाया। 
तेरे कहर से भी बच जायेंगे ,
प्रयास नहीं रुकने देंगे। 

बॉम्बे फ्लू भी आया था ,
प्लेग भी आया था। 
जब हमने हुंकार भरी , 
उलटे पाओ भागा था। 

जंग बहुत जीती है हमने ,
हमने सबको हराया है। 
कैसी अजीब जंग है  ये,
हमारा सह्ययं आजमाया है। 
 
तूने बहुत खेल लिया,
ये अब हमारा वार है। 
कितना भी तू जोर लगा ले , 
अब तो हम तैयार है। 

बाहें बहुत फैलायी तुमने ,
इम्युनिटी हमारा हथियार है। 
बच गए अगर हम तुझसे ये ,
हमारी जीत और तेरी हार है। 

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