Poems



 मेरा जीवन बन गया मधुबन 

  Ashok Yogi "Shastri"       2021-02-14 07:57:45

थिरकते पांव , उमड़ते भाव
शादी   की   शहनाई   में
झंकृत मन, अलंकृत तन
वसंत  की   तरणाई   में
मधुर..  मकरंद ..    सा 
फिर   खिले   तेरा  यौवन
प्रेम तुम्हारा पाकर "प्रिये"
मेरा जीवन बन गया मधुबन।

किसलय कोपल संग नव प्रभात हुआ
अंबर... में.. अरुणिमा... छाई
जीवन    सुंदर     स्वप्न    बना
जब  से  तुम  जीवन  में  आई
महकते  रहना  घर   आंगन में
बनकर   सुगंध    चंदन    वन
प्रेम  तुम्हारा...पाकर.... "प्रिये"
मेरा   जीवन  बन गया   मधुबन ।

मृदुल   तन    ,रक्तिम   मुख
उदय   होता  मानो दिवाकर
सुनकर मधुकर की मधुर गुंजार
तुम.... आओ न .......... प्रिये
कर ..  नव ..  यौवन ..  श्रृंगार
जागृत  करें  स्वप्निल  दृगों में_
प्रथम .......वसंत......मिलन
प्रेम ...तुम्हारा.. पाकर.. "प्रिये"
मेरा  जीवन   बन  गया  मधुबन 

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