एक बचपन का ज़माना था जिसमें खुशियों का खजाना था चाहत चांद को पाने कि थी पर दिल तितली का दीवाना था ख़बर न थीं कुछ सुबह की न शाम का ठिकाना था थक कर आना स्कूल से पर खेलने भी जाना था मां की कहानी थी परियों का फ़साना था बारिश में कागज़ कि नाव थीं हर मौसम सुहाना था. रोने कि वजह ना थीं न हसने का बहाना था क्यों हम इतने बड़े हो गए इससे अच्छा तो वो बचपन का ज़माना था
-*-*-*-*-