Poems



 जीवन धारा 

  Sanchay       2020-06-07 17:28:38

जब शुरू हुई ये ज़िंदगी
माँ की गोद थी हर खुशी
रो कर कह देता था मुश्किल
ढक देती थी मुझ पर आँचल
जब मैने धरती पर पाँव रखा
पापा ने मुझे संभाल लिया
कंधे पर बैठा कर दुनिया दिखला दी
कहने से पहले हर ख्वाहिश पूरी की
भाई के साथ जब कदम बढ़ाया
अच्‍छे बुरे का फर्क समझाया
भाभी ने आकर यादें सॅंजो दी
घर के आँगन को नई कली दी
बहनो की चिकचिक उनका दुलार
भर देता है आँखे उनका वो प्यार
बहते मंझधार में दोस्त मिले
हर अच्छे बुरे में साथ चले
अपनों से दूर यहाँ आया हूँ
एक पल भी ना जी पाया हूँ
बार बार छलक जाती है आँखे
कर लेता हूँ इन से भी बातें
जगती रातों से पूछा तो
कहा, तेरी आँखे देख ना सोई हूँ
बहती आँखो से पूछा तो
कहा, तेरे दिल को देख कर रोई हूँ
बहती आँखो, जगती रातों ने
खुदा के दिल को यूँ सेज़ा
अपनों की कमी ना खले मुझे
इसलिए दोस्तों को भेजा 

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