नक़ाब 
  Sanchay       2020-12-09 07:29:21
कितना छुपाओगे खुद को दुनिया की नज़र से
कि ये आँखे सारे राज खोलती है
चाँद छुपा बैठा है घूंघट के पीछे
ये घूंघट की अदाएँ बोलती है
ये हैरानी क्यों है इन आँखो मे
आपके दीदार की गुज़ारिश ही तो की है
एक पर्दा है हमारी खता और आपकी रज़ा के बीच
उस पर्दे को गिरने की वजह ही तो दी है