Poems



 ऐसी दिवाली मनाएं 

  Ashok Yogi "Shastri"       2020-11-14 01:47:15

आओ अबकी  बार  ऐसी  दिवाली  मनाएं ,
भूखे,प्यासे मजलूमों के घर प्रेम के दिए जलाएं !

भरे   हुए   पेटों   की   छोड़कर   चिन्ता,
फुटपाथ पर बैठे किसी यतीम को खाना खिलाएं !

भर  जाएं  कोठे  अन्नदाता  के  धान से,
मेघाच्छिदत अंबर से विनती कर प्रेमरस बरसाएं !

सब  जगह हो  हर्षोल्लास, सब  रहे  निरोगी,
ऐसी  मंगलमयी  भावना  के फिर  से  गीत गाएं !

कोई  विरहणी  न  आकुल  हो  पिय  बिन ,
सबके  घर  आँगन  माँ  लक्ष्मी प्रेमधन बरसाएं !

भय ,भूख भ्रष्टाचार मिटे,सनातन भारत फिर बढे,
आओ सब मिलकर भारत को फिर विश्वगुरू बनाएं !

न रहे अंधेरा दूर क्षितिज तक,चमक-चाँदनी हो अंबर मे,
अवनी से अंबर तक कलम 'योगी' की आशा के दीप जलाए ! 

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