कहने को तो मैं हिंदी हूँ देखो मुझे मैं कैसे जिन्दी हूँ। कहते हैं हिन्द देश के वासी हम हैं हिन्दी भाषा के भाषी। कुछ सनातनी करते हैं संवाद यहां रक्षक हैं वो मुझ भाषा के भाषी। कहने को तो आज हर जुबां पे होगा मेरा नाम पर बहुभाषी खा गए देखो कैसे मेरा हर इक काम। लाचार सी हो गयी हू मैं गंवार हो गया आज मेरा भाषी अंग्रेजी बोलने वाला हो गया आज यहां कैसे मधुर भाषी। कहने को तो मैं राष्ट्र भाषा हिंदी हूँ कैसे बताऊँ आपको कैसे अब मैं जिन्दी हूँ । सटीक सुलभ सौम्यता हैं मुझमें भावों की अभिव्यक्ति की अनोखी विधा हैं देखो मुझमें। कुछ उलझी कुछ सुलझी सी अनजान सी हूँ मैं तुझ इन्डियन की दुनिया में पहचान सी हूँ मैं। जान के मुझको इतना अब तुम्हीं बताओ कैसे मै जिन्दी रहू?? तुम प्यारों की भाषा कैसे मै हिन्दी रहू??
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